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रेक्टल (मलाशय) कैंसर

रेक्टल (मलाशय) कैंसर तब विकसित होता है जब रेक्टम (मलाशय) की परत बनाने वाली सेल्स (कोशिकाएं) विभाजित होने लगती हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। बड़ी आंत का आखरी छह इंच रेक्टम (मलाशय) बनाता है और मल को बाहर निकालने तक ले जाता है। अक्सर कोलन कैंसर और रेक्टल (मलाशय) कैंसर को समूहीकृत किया जाता है और इन्हें एक साथ कोलोरेक्टल (मलाशय) कैंसर कहा जाता है।

अवलोकन

रेक्टल (मलाशय) कैंसर तब विकसित होता है जब रेक्टम (मलाशय) की परत बनाने वाली सेल्स (कोशिकाएं) विभाजित होने लगती हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। बड़ी आंत का आखरी छह इंच रेक्टम (मलाशय) बनाता है और मल को बाहर निकालने तक ले जाता है। अक्सर कोलन कैंसर और रेक्टल (मलाशय) कैंसर को समूहीकृत किया जाता है और इन्हें एक साथ कोलोरेक्टल (मलाशय) कैंसर कहा जाता है।

नॉन - कैंसरस पॉलीप्स, जो सौम्य सेल्स (कोशिकाओं) के असामान्य द्रव्यमान होते हैं, वे रेक्टल (मलाशय) कैंसर के लिए सामान्य पूर्व लक्षण होते हैं। रेक्टल (मलाशय) कैंसर एक धीमी गति से बढ़ने वाली बीमारी है जो आमतौर पर रेक्टम (मलाशय) तक ही सीमित होती है। हालाँकि, अगर इसका पता नहीं चलता है और इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो यह अन्य अंगों में फैल सकता है।

प्रकार

जिन सेल्स (कोशिकाओं) से वे उत्पन्न होते हैं, उनके आधार पर, रेक्टल (मलाशय) कैंसर को निम्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है :


लक्षण

रेक्टल (मलाशय) कैंसर विभिन्न लक्षणों के साथ खुद को प्रकट करता है, जिनमें से सभी लक्षणों के लिए चिकित्सकीय ध्यान देने की आवश्यकता होती है। हालांकि, इस प्रकार का कैंसर बिना किसी लक्षण के भी मौजूद हो सकता है, इसलिए नियमित स्क्रीनिंग परीक्षण करना महत्वपूर्ण हो जाता है।

रेक्टल (मलाशय) कैंसर के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं :

  • मल में खून आना
  • दस्त, कब्ज या मलत्याग की आदतों में कोई अन्य परिवर्तन जो दो सप्ताह से अधिक समय तक रहता है
  • पेट में दर्द और ऐंठन
  • बार बार मल त्याग करने की इच्छा होना
  • अनजाने में वजन कम होना
  • अत्यधिक थकान
  • खून की कमी

कारण

आमतौर पर रेक्टल (मलाशय) कैंसर कई वर्षों में विकसित होता है, जिसकी शुरुआत एक पॉलीप, एक असामान्य कोशिका गांठ के रूप में होती है। कुछ पॉलीप्स में कैंसर के रुप में विकसित होने और बढ़ने और रेक्टम (मलाशय) की दीवार में प्रवेश करने की क्षमता होती है। वर्षों से, शोधकर्ताओं ने रेक्टल (मलाशय) कैंसर के लिए कुछ जोखिम कारकों की पहचान की है :

निदान

यदि ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण कुछ दिनों से अधिक समय तक देखा जाता है, तो डॉक्टर रेक्टल (मलाशय) कैंसर के लक्षणों की जांच के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट की सिफारिश कर सकते हैं। रेक्टल (मलाशय) कैंसर का पता लगाने के लिए निम्नलिखित जांच और नैदानिक ​​परीक्षण उपलब्ध हैं :

इलाज

रेक्टल (मलाशय) कैंसर के लिए उपचार योजना कई कारकों के आधार पर तैयार की जाती है, जैसे :

  • यदि ट्यूमर रेक्टम (मलाशय) की दीवार में गहराई से प्रवेश कर गया है
  • आस-पास के लिम्फ नोड्स कैंसरयुक्त प्रतीत होते हैं या नहीं
  • यदि कैंसर मेटास्टेसिस हो गया है
  • ट्यूमर का सटीक स्थान
  • मरीज़ की उम्र
  • मरीज़ की कुल स्वास्थ्य स्थिति

रेक्टल (मलाशय) कैंसर के उपचार के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं और प्रमुख उपचार विकल्पों में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) और कीमोथेरेपी शामिल हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हां, रेक्टल (मलाशय) कैंसर का इलाज किया जा सकता है। यदि प्रारंभिक चरणों में इसका पता चल जाता है, तो इस कैंसर का उत्कृष्ट नैदानिक ​​परिणामों के साथ इलाज किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता भी बहुत अधिक प्रभावित नहीं होती है।

किसी भी अन्य प्रकार के कैंसर की तरह, रेक्टल (मलाशय) कैंसर के लिए प्रारंभिक चरणों में पता लगाना महत्वपूर्ण है। यदि आपको लगता है की आपको रेक्टल (मलाशय) कैंसर होने का जोखिम अधिक हैं, तो आप रेक्टल (मलाशय) कैंसर के लिए नियमित जांच पर विचार कर सकते हैं, जो रोग की रोकथाम और जल्दी पता लगाने में मदद कर सकता है।

ज्यादातर मामलों में, रेक्टल (मलाशय) कैंसर, एडिनोमेटस पॉलीप सौम्य सेल्स (कोशिकाओं) के समूह के रूप में शुरू होता है। इनमें से अधिकांश पॉलीप्स नॉन -कैंसरस होते हैं, हालांकि, 10-15 साल के बाद इनमें से कुछ कैंसरस हो सकते हैं।

जब कैंसर रेक्टम (मलाशय) में विकसित होता है, तो इसके बढ़ने और फैलने की दर इसके ग्रेड और मरीज़ की कुल स्वास्थ्य स्थिति, जीवन शैली की आदतों आदि जैसे अन्य कारकों पर निर्भर करती है।

हर एक मरीज़ द्वारा अनुभव किए जाने वाले दुष्प्रभाव दिए गए उपचार पर निर्भर करते हैं। सर्जरी से रक्तस्राव और जहां चीरा लगाया गया था उस जगह पर दर्द, थकान, बीमारी की भावना, सूजन, चोट लगना आदि जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं ।

कीमोथैरेपी से बालों का झड़ना, मुंह में छाले, मतली और उल्टी, पतले दस्त, चेता को हानि, थकान, संक्रमण आदि हो सकते हैं।

रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) से त्वचा में जलन, भूख न लगना, पतले दस्त आदि, जैसे कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।

ज्यादातर मामलों में, मरीज़ों को आंत्र विकारों का अनुभव हो सकता है। आंत्र कार्यों में सुधार होने तक डॉक्टर आपके भोजन की आदतों में कुछ बदलाव करने की सिफारिश कर सकते हैं।

इनमें से अधिकांश दुष्प्रभाव धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं। हालांकि, अगर इन दुष्प्रभावों का प्रबंधन करना मुश्किल हो जाता है, तो मरीज मदद के लिए डॉक्टरों के पास जा सकते हैं।

हां, रेक्टल (मलाशय) कैंसर के लिए जांच के तरीके उपलब्ध हैं। ज्यादातर मामलों में, रेक्टल (मलाशय) कैंसर की जांच के लिए कोलोनोस्कोपी की सिफारिश की जाती है।

प्रक्रिया से पहले, मरीज़ को बेहोश किया जाता है। एक कोलोनोस्कोप, जो एक लचीली, प्रकाश स्त्रोत वाली ट्यूब होती है, मरीज़ को बेहोश करने की क्रिया के बाद इस ट्यूब को रेक्टम (मलाशय) में डाला जाता है, और पूरे कोलन (बृहदान्त्र) और रेक्टम (मलाशय) क्षेत्र की पॉलीप्स या कैंसर के लिए जाँच की जाती है।

जिन लोगों का कोलोरेक्टल (मलाशय) कैंसर का पारिवारिक इतिहास है, कोलोरेक्टल (मलाशय) कैंसर का व्यक्तिगत इतिहास है, जिन्हें इन्फ्लामेटोरी बोवेल सिंड्रोम आदि है, ऐसे उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए रेक्टल स्क्रीनिंग की दृढ़ता से सिफारिश की जाती है।

यद्यपि आप रेक्टल (मलाशय) कैंसर को पूरी तरह से रोक नहीं सकते हैं, यहाँ कुछ तरीकें बताएं गए हैं जो आप रेक्टल (मलाशय) कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए कर सकते हैं :

  • रेड (लाल), प्रोसेस्ड मीट (प्रसंस्कृत मांस) का बार-बार सेवन करने से बचें
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें
  • धूम्रपान छोड़ दे
  • शराब का अत्यधिक सेवन करने से बचें
  • एक सक्रिय जीवनशैली बनाए रखें